पुलिस किसी को मनमर्जी तरीके से गिरफ्तार नहीं कर सकती. उसे गिरफ्तारी के लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनानी होती है वर्ना गिरफ्तारी गैरकानूनी मानी जाती है जिसमें पुलिस पर एक्शन भी लिया जा सकता है।
अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20, 21और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है. मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित पक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और योगेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में पुलिस गिरफ्तारी से संबंधित कानूनों का विस्तार से वर्णन किया है. इनके मुताबिक...
1. सीआरपीसी की धारा 50 (1) के तहत पुलिस को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी का कारण बताना होगा.2. किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी को वर्दी में होना चाहिए और उसकी नेम प्लेट में उसका नाम साफ-साफ लिखा होना चाहिए।
3. सीआरपीसी की धारा 41 बी के मुताबिक पुलिस को अरेस्ट मेमो तैयार करना होगा, जिसमें गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी की रैंक, गिरफ्तार करने का टाइम और पुलिस अधिकारी के अतिरिक्त प्रत्यक्षदर्शी के हस्ताक्षर होंगे।
4. अरेस्ट मेमो में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से भी हस्ताक्षर करवाना होगा।
5. सीआरपीसी की धारा 50(A) के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अधिकार होगा कि वह अपनी गिरफ्तारी की जानकारी अपने परिवार या रिश्तेदार को दे सके. अगर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इस कानून के बारे में जानकारी नहीं है तो पुलिस अधिकारी को खुद इसकी जानकारी उसके परिवार वालों को देनी होगी।
6. सीआरपीसी की धारा 54 में कहा गया है कि अगर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति मेडिकल जांच कराने की मांग करता है, तो पुलिस उसकी मेडिकल जांच कराएगी. मेडिकल जांच कराने से फायदा यह होता है कि अगर आपके शरीर में कोई चोट नहीं है तो मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हो जाएगी और यदि इसके बाद पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान आपके शरीर में कोई चोट के निशान मिलते हैं तो पुलिस के खिलाफ आपके पास पक्का सबूत होगा. मेडिकल जांच होने के बाद आमतौर पर पुलिस भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं करती है ।
7. कानून के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की हर 48 घंटे के अंदर मेडिकल जांच होनी चाहिए।
8. सीआरपीसी की धारा 57 के तहत पुलिस किसी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं ले सकती है. अगर पुलिस किसी को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में रखना चाहती है तो उसको सीआरपीसी की धारा 56 के तहत मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होगी और मजिस्ट्रेट इस संबंध में इजाजत देने का कारण भी बताएगा।
9. सीआरपीसी की धारा 41D के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह पुलिस जांच के दौरान कभी भी अपने वकील से मिल सकता है. साथ ही वह अपने वकील और परिजनों से बातचीत कर सकता है।
10. अगर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति गरीब है और उसके पास पैसे नहीं है तो उनको मुफ्त में कानूनी मदद दी जाएगी यानी उसको फ्री में वकील मुहैया कराया जाएगा।
11. नॉन कॉग्निजेबल ऑफेंस यानी असंज्ञेय अपराधों के मामले में गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तारी वारंट देखने का अधिकार होगा. हालांकि कॉग्निजेबल ऑफेंस यानी गंभीर अपराध के मामले में पुलिस बिना वारंट दिखाए भी गिरफ्तार कर सकती है।
12. जहां तक महिलाओं की गिरफ्तारी का संबंध है तो सीआरपीसी की धारा 46(4) कहती है कि किसी भी महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज निकलने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है हालांकि अगर किसी परिस्थिति में किसी महिला को गिरफ्तार करना ही पड़ता है तो इसके पहले एरिया मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होगी।
13. सीआरपीसी की धारा 46 के मुताबिक महिला को सिर्फ महिला पुलिसकर्मी ही गिरफ्तार करेगी. किसी भी महिला को पुरुष पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं करेगा।
14. सीआरपीसी की धारा 55 (1) के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ख्याल पुलिस और रखना होगा।
अगर उक्त किसी भी कानून का पुलिस पालन नहीं करती है तो उसकी गिरफ्तारी गैरकानूनी होगी और इसके लिए पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
good bhai.
ReplyDelete