निम्नलिखित बातों
पर ध्यान दें –
- 498A दहेज उत्पीड़न के साथ 406,504,506 IPC और CRPC 125 (गुजारा भत्ता) का सहज पैकेज एक साथ पति और उसके परिवार को मिलता है । जब से 498A पर सर्वोच्च न्यायलय ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी तब से 377,354,और 307 लगाए जा रहें हैं । (376,377,354 और 307 जैसी धाराएं जांचक्रम मे सही पाए जाने पर ही लगाई जा सकती हैं अन्यथा अंतिम रिपोर्ट में हटा दिया जाता है । केस दर्ज होने के बाद सबसे पहले आप यह समझे कि आप अकेले नही हैं “आप जैसे लाखोलाख लोग हैं जिनपर विवाह सम्बंध में पति पत्नी के छोटेमोटे मतभेद को दहेज उत्पीड़न के मुकदमें का शक्ल दे दिया गया है ताकि जेल का डर बनाकर पति से लाखोलाख की फिरौती वसूल की जा सके।
- सबसे पहले यह तय करें कि पत्नी आपकी विरोधी है “जिसने आप पर नियंत्रण करने के लिए 498A का मुकदमा किया है” दुविधा में न रहें कि सास-ससुर और साले के बहकावे और दबाव में पत्नी ने केस किया क्योंकि पति, मुकदमा दर्ज होने के बाद भी मानसिक रूप से दुविधा मे रहता कि “पत्नी मुकदमा नही चाहती थी” ऐसी मानसिकता को दूरकर यह तय करना जरूरी है कि आप पर मुकदमा हो चुका है और आपको झूठे मुकदमें से बचना है । अमूमन 498A का मुकदमा 3 से 4 साल चलता है जिसमें बचाव के लिए अस्त्र शस्त्र (सबूत) का चुनाव आपको करना है ।
- जमानत तुरंत लें । जमानत से 90% युद्ध आपकी पकड़ मे है।आपके दुश्मन के जेल भेजने की मंशा पर जैसे ही पानी फिरा वह धराशायी हो जाएंगे ,फिर 3 से 4 साल की हर तारीख पर जाएं और केस पानी पी पी कर हौले हौले लड़ें ।
- ध्यान दें केस के बाद सबसे ज्यादा चिंता सामाजिक प्रतिष्ठा की होती है । ऐसा कभी न समझें की आपका सब कुछ खत्म हो गया ,अगर जेल 2-3 दिन के लिए जाना भी पडा तो याद करें । ”धर्मयुद्ध के अभिभावक श्रीकृष्ण का जन्म कारावास में हुआ था “जेल में आदमी ही रहते हैं “मुकदमें का फैसला होने तक आप निर्दोष हैं “जेल सुधार गृह होता है , जेल शब्द का ईस्तेमाल अदालत भी नही करती कस्टडी कहती है” । जेल के डर से ही आत्महत्या का ख्याल आता है “पर इतना जरूर समझें कि अगर निर्दोष जेल गया तो वह इस धर्मयुद्ध का प्रबल योद्धा है और उसकी जीत सुनिश्चित है ।
- दहेज “शब्द ही विरोधाभासी है और पुलिस के लिए सबूत ईकट्ठा करना बहुत कठिन है,क्योंकि शिकायत सिर्फ मौखिक रूप से करने से मुकदमा दर्ज होता है ।
- ससुर “दहेज” दिया ऐसा वह कहेगा नही और आपने लिया यह साबित होगा नही । दहेज को ससुर कभी स्त्रीधन कहेगा तो कभी शादी में हुआ खर्च बताएगा। ससुर यह पक्का कहेगा” मैं लुट गया बर्बाद हो गया “लोन लेकर शादी की” अगर ससुर अनाप शनाप खर्च बताए तो वह खुद 5 साल के लिए लंबा हो जाएगा क्यूंकि दहेज देना भी जुर्म है” शादी मे खर्च की रकम ससुर की औकात से ज्यादा वह बताए तो Tax Evasion Petition का सहारा लें आयकर विभाग जरूर कार्यवाही कर उनसे हर झूठ और पाई पाई का हिसाब लेगी ।
- केस बीवी ने किया है ,साबित उसे करना है “आपको बस थोडी सी परेशानी होगी । हर एक से दो महिने की तारीख पर उपस्थिति दर्ज करानी है। शुरू में अदालत का दहशत होगा । वह भी अपने अस्तित्व और आत्मसम्मान की लडाई की समझ के बाद अदालत जाने के आप अभ्यस्त हो जाएंगे ।
- अदालत में डिस्चार्ज ,क्वैस ,रिविजन जैसे उपलब्ध हैं जो आपको बेगुनाह साबित करते हैं जिनका इस्तेमाल समयानुसार आप अपने अभिभाषक (Counsel) से करवाएं ।
- गुजारा भत्ता से बचने के लिए आप पत्नी की नौकरी और अंकपत्र इत्यादि प्राप्त करने के लिए सूचना का अधिकार RTI का प्रयोग करें ।
- समझौता के नामपर लाखोलाख की मांग सिर्फ डराने का तरीका होता है !ससुरालियों को कहें “10” साल केस लडूंगा “अदालत अगर सजा देती है तो अक्षरश: मंजूर है । समझौते के नामपर एक रूपया भी देना फिर से एक ऐसी जमात को जन्म देना होगा जो आज शादी के बाद झूठे केस करके फिरौती (Extortion) वसूल करने में लगी है ।
- शादी और बेटी के बढते उम्र की चिंता बीवी के बाप को होती है । 3 साल लगेंगे आपकी बीवी को उसकी की गयी गलती का ऐहसास होने में “क्या सोंचा था क्या हो गया
best for those who are facing false cases.
ReplyDeleteGood post for the man who are misused by wife.
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