Monday 14 October 2019

Defamation Case in Detail (मानहानि)


आजकल हम अक्सर अखबारों, न्यूज़ चैनल और इंटरनेट पर मानहानि के बारे में पढ़ते रहते हैं। कि कोर्ट में किसी के खिलाफ Maan Haani IPC ACT 499-500 का केस दर्ज कराया। इस तरह  के अक्सर समाचार हमारे पास आते रहते हैं । लेकिन हममें से बहुत ही कम ऐसे लोग होंगे जिन्हें पता होगा की मानहानि क्या होता है ? और मानहानि का केस कैसे ? और कब दर्ज किया जाता है। यदि आपको भी जानकारी नहीं है । कि मानहानि क्या होता है ? मानहानि के नियम क्या हैं ? मानहानि का केस क्या है ? तो आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से Maan Haani IPC ACT 499-500 केस के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं।

Maan Haani IPC ACT 499-500 के बारे में जानने से पहले हम मानहानि क्या होता है। इसके बारे जान लेते है। साधारण शब्दो मे कहे तो मानहानि वह प्रभाव है। जब किसी व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति पर आधार हीन आरोप, आलोचना, और उसके बारे में गलत धारणा बिना किसी पुख्ता सबूत के समाज मे पेश किया जाता है। जिससे प्रभावित व्यक्ति की छवि पर समाज मे बुरा असर पड़ता है। उसकी छवि समाज मे धूमिल होती है। तब प्रभावित व्यक्ति कोर्ट में अपने खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार और अपनी छवि को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए केस फाइल करता है । तब हम उसे मानहानि कहते हैं।

“किसी व्यक्ति, व्यापार, उत्पाद, समूह, सरकार, धर्म या राष्ट्र के प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाने वाला असत्य कथन मानहानि (Defamation) कहलाता है। अधिकांश न्यायप्रणालियों में मानहानि के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के प्रावधान हैं । ताकि लोग विभिन्न प्रकार की मानहानियाँ तथा आधारहीन आलोचना अच्छी तरह सोच विचार कर ही करें। “

अक्सर हम मानहानि के बारे में सुनते रहते हैं । बहुत से लोग बिना कुछ सोचे समझे किसी के बारे में कुछ भी बोल देते हैं । और बाद में उनके वही शब्द उनके लिए मुसीबत बन जाते हैं।  समाज में मानहानि को 2 प्रकार से परिभाषित किया गया है।  मानहानि के यह दो प्रकार निम्नलिखित है –

जाति या समुदाय से संबंधित – जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को नीचा दिखाने की मंशा से उसकी जाति, समुदाय और उसके धर्म के बारे में अपशब्दों का उपयोग करता  है।  तब उसे जातिगत या समुदायिक मानहानि की श्रेणी में रखा जाता है । इस श्रेणी के अंतर्गत किसी को जातिगत शब्दो ( जैसे – तुम भंगी हो, चमार हो , शुद्र हो, धानक हो, नीच जाति के हो इत्यादि) का उपयोग करके गाली देना सम्मिलित किया जाता है। साथ ही यदि कोई व्यक्ति किसी को उसके व्यवसाय को लेकर गाली देता है। तो उसे भी इस श्रेणी में सम्मिलित किया जाता है।

ऐसी स्थिति में जिस व्यक्ति या समुदाय के लिए इन अपमानजनक अपशब्दों का उपयोग किया जाता है । वह उस व्यक्ति जिसने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है , के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर सकता है । जिसका साबित होने पर कोर्ट द्वारा ऐसे व्यक्ति को सजा दी जा सकती है।

योग्यता और साख गिराना –
जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की योग्यता उसके ज्ञान अनुभव और तजुर्बे को झूठा साबित करने की कोशिश करता है । तो इस प्रकार के सभी मानहानि के अंतर्गत आते हैं।  इस तरह की केस में कोई व्यक्ति किसी विशेष व्यक्ति के खिलाफ झूठी अफवाह फैलाता है – जैसे वह चोर है , बेईमान है , अपराधी है , इत्यादि।  इसके साथ ही किसी को अपमानित करने के लिए उसे चरित्रहीन, रंडी ,पापी, नाजायज सन्तान और किसी के शारीरिक स्थिति देखकर उसे लगड़ा लूला, बदसूरत, पागल अंधा इत्यादि कहना भी इस श्रेणी में आते है।

तब इससे प्रभावित व्यक्ति उस व्यक्ति जिसने इस तरह से उसकी छवि समाज में धूमिल करने की कोशिश की है।  के खिलाफ Maan Haani IPC ACT 499-500 का मुकदमा कर सकता है । और आरोप साबित होने के पश्चात तो ऐसे व्यक्ति को न्यायालय द्वारा दंडित किया जाता है।

साइबर मानहानि कानून –
आधुनिक युग में जहां लोगों के जीवन जीने का ढंग बदल चुका है।  लोग डिजिटल होते जा रहे हैं।  डिजिटलीकरण के इस युग में अपराध करने के भी तरीके बदल गए हैं । बदले  इस समय में अब  फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसी सोशल साइट पर भी किसी व्यक्ति , समाज या समुदाय के लिए उपयोग किए जा रहे अपशब्दों को अपराध घोषित किया गया है ।

सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 ए के तहत कोई भी व्यक्ति किसी कंप्यूटर, मोबाइल , इंटरनेट की मदद से फेसबुक, ट्विटर,  इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसी अन्य सोशल वेबसाइट पर किसी समाज,  संस्था,  व्यक्ति के खिलाफ उपर्लिखित अपमानजनक शब्दों का उपयोग करता है।  तो उस पर भी Maan Haani IPC ACT 499-500 का केस किया जा सकता है । ऐसी स्थिति में दोषी पाए गए अपराधी को कानून द्वारा निर्धारित की गई 3 वर्ष तक की कैद या जुर्माना या अपराध  की गंभीरता को देखते हुए अपराधी को सजा और जुर्माना दोनों हो सकती है ।

ऐसे तथ्य जो Maan Haani IPC ACT 499-500 के अंतर्गत नहीं आते हैं –
ऐसा नहीं है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बिना किसी आधार के मानहानि का केस कर सकता है । बल्कि किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ Maan Haani IPC ACT 499-500 का केस दायर करने के लिए उसके पास सबूत भी होना आवश्यक है । यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति पर Maan Haani IPC ACT 499-500 का झूठा मुकदमा दायर करता है । तो उसके खिलाफ भी हमारे संविधान में सजा का प्रावधान किया गया है । कुछ ऐसे तथ्यों  के बारे में हम यहां पर बता रहे हैं । जिनका उपयोग करना मानहानि के अंतर्गत नहीं आता है वह इस प्रकार है –

किसी प्रकार के लड़ाई झगड़े में या सामान्य रूप से किसी व्यक्ति को अभद्र , चिड़चिड़ा , पिछड़ा और अनाड़ी जैसे शब्दों से संबोधित करना मानहानि के अंतर्गत नहीं आता है ।  हालाँकि फिर भी आपके द्वारा  किसी को ऐसे शब्दों से सम्बोधित किये जाने पर दण्डित किये जा सकते है ।
कोई व्यक्ति या समाज को किसी अपराधी, चोर और बेईमान व्यक्ति से आगाह करना भी मानहानि के अंतर्गत नहीं शामिल किया गया है ।
किसी पुस्तक, फिल्म , नाटक,  व्यक्ति या आदेश की आलोचनात्मक समीक्षा करना भी मानहानि के अंतर्गत नही शामिल किया गया है।
यदि किसी ने व्यक्ति पर किसी समाज की भलाई के लिए आरोप लगाए गए हो । तो वह भी मानहानि केश से बच सकता है। हालांकि उसे यह साबित करना होगा, कि उसने यह कार्य समाज की भलाई के लिए किया है।

Maan Haani IPC ACT 499-500 में सजा के प्रावधान –
भारतीय संविधान में मानहानि जैसे अपराध के लिए सजा का प्रावधान किया गया है । इस अपराध के लिए भारतीय कानून में दो धाराएं हैं । जो इसके लिए बनाई गई है । IPC यानी इंडियन पैनल कोर्ट के अनुसार धारा 499 धारा 500 के अनुसार  मानहानि के अपराध में दोषी पाए जाने वाले अपराधी को दंडित किया जाता है ।

भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के अंतर्गत दोषी पाए जाने वाले अपराधी को भारतीय न्यायालय द्वारा दंडित किया जाता है । मानहानि के केस में प्रयोग की जाने वाली धाराएं और उनके अनुसार अपराधियों को दंड प्रदान करने की धाराएं कुछ इस प्रकार हैं –

IPC धारा 500 – धारा 500 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे अन्य व्यक्ति की मानहानि करता है । तो उसे धारा 500 के तहत 2 साल की कैद और आर्थिक जुर्माना दिया जाता है । अपराध की गंभीरता को देखते हुए अपराधी को कैद की सजा और जुर्माना दोनों भी दी जा सकती है ।

IPS धारा 501 – इस धारा के अंतर्गत जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी व्यक्ति विशेष की मानहानि करता  है । तो उसे धारा 501 के तहत 2 साल की सजा और आर्थिक जुर्माना द्वारा दंडित किया जाता है। या फिर जुर्माना और सजा दोनों दी जाती है ।

IPC धारा 502 – धारा के अंतर्गत जब कोई व्यक्ति किसी को आर्थिक उद्देश्य से  किसी व्यक्ति विशेष की मानहानि करता है । तो उसे धारा 502 के तहत 2 साल कैद की सजा या जुर्माना या सजा और जुर्माना दोनों दंड प्रदान किए जाते हैं ।

IPC धारा 505 – इस धारा के अंतर्गत किसी खबर, रिपोर्ट को इस तरह से पेश करना जिससे भारतीय जल , स्थल , वायु सेना का कोई भी सैनिक और अधिकारी विद्रोह या बगावत करने के लिए तैयार हो जाए । इसके साथ ही कोई भी ऐसी भ्रामक जानकारी जिससे समाज या समुदाय में डर और भय का माहौल उत्पन्न हो जाये । और लोग सरकार के खिलाफ हो जाये । इस दौरान आरोपित व्यक्ति को धारा 505 अंतर्गत 2 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों सजाएं दी जा सकती है।

मानहानि होने पर मिलने वाला जुर्माना –
यदि किसी व्यक्ति के मानहानि से किसी प्रकार की आर्थिक क्षति पहुंची है। तो वह न्यायालय में मुवावजे के लिए अपील कर सकता है। ऐसी स्थित में पीड़ित व्यक्ति को अपनी हुई आर्थिक क्षति की रकम न्यायालय को लिखित रूप में बतानी होगी । साथ ही उसके साक्ष्य भी प्रस्तुत करने होंगे। जिसके पश्चात न्यायालय पीड़ित व्यक्ति के हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई अपराधी से करवाती है।

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